"हम भी इंसान हैं " यूँ तो हमारा कोई जाति-धर्म नहीं होता, कोठे की ये चारदीवारी हमारे सिर का छत होता | बनना हम भी नहीं चाहते थे ये, किस्मत ने हमें वैश्या बना दिया, छोटी सी उम्र में बिकना सिखा दिया | वो जो नाच रही यहाँ, शौक से आयी नहीं, गरीबी ने बेच दिया, वो अपनी मर्ज़ी से आयी नहीं | प्यार करना हम भी चाहते पर औकाद भूलना आता नहीं, हम धंधे वाली हैं, बहु -बेटियां कहलाना आता नहीं | ज़िस्म की बोली लगा कर पेट की आग बुझाते, चरित्रहीन हम नहीं, यहाँ आने वाले मर्द चरित्रहीन कहलाते | ज़िस्म के बाज़ार में बोली हमारी खूब लगती , घंटे के हिसाब से इज्जत हमारी रोज़ बिकती | जमाना हमें गली दे के बुलाता, और हर रात हमें ही नोंच खाता | हमारी चीखें और आहें किसी को सुनाई नहीं देती , हम वैश्या हैं, रात होते ही महफ़िल में रंग जमा देती| बदनाम ये गालियाँ है और हम भी बदनाम हैं, कोई तो समझो इस बात को हम भी इंसान हैं| #yourquote #hindipoetry #Dard #humanity #Vaishya #story #kaam #girl #RESPECT #Instagram Let them live their life & show some respect to them. We don't have any right to judge anyone. Change your perception. . like, comment & share if have similar thought.