अच्छा सुनो, ये बताओ, आखिर कब तक खेलू मैं कल्पनाओं की होली कभी तो कल्पनाओं से बाहर भी मुझसे मिलने तुम आओ मैं भी तो चाहती हूं तुम्हारे गालों पे अपने हाथों से रंग लगाना हां मालूम है, मुझे मैने पहले ही अपने प्यार का रंग तुमपे चढ़ा दिया है पर होली का रंग भी तो तुमपे चढाना है लाल रंग कैसा लगेगा तुम्हारे गालों पे, ये भी तो मुझे देखना है कितनी खवाइशे है मेरी तुम हर बार टाल देते हो अब इस बार नही इस बार तो तुम्हे आना होगा सफेद कुर्ता पहनकर, हाथो मे लाल रंग लेके तुम्हारे स्पर्श को भी तो महसूस करना है मुझे सबके प्रेमी अपनी प्रेमिकाओं को अपने रंग में रंगते है तुम्हे पता है, ये सब देख मेरे दिल के सौ टुकड़े हर बार होते है पर तुम्हे क्या, तुम्हे तुम्हारे काम से छुट्टी मिल तब न इस सुंदर सी प्यारी सी नारी की याद आए बस काम काम काम कभी तो किया करो तुम आराम देख लो, शादी के बाद भी ऐसे किए न, तो मैं रूठ के चली जाऊंगी अपने मायके फिर कभी वापस नहीं आऊंगी हां, कह देती हूं पहले बाद में मत कहना बताया नहीं अच्छा सुनो, ये बताओ; आखिर कब तक खेलूं मैं कल्पनाओं की होली.... ?? ©Chandani Singh Rajput #होली #HappyHoliInAdvance #लव_शायरी #mohe_ranglo_piya #laalishq