अभी बरसात का मौसम, कहर कैसा ये ढाया है। जहाँ देखो वहीं अब तो, मुसीबत खूब लाया है। अजब हैं फ़ितरतें इसकी,अजब इसकी शरारत भी- हँसाया है किसी को तो, किसी को यह रुलाया है। #मुक्तक #बरसात_का_मौसम #विश्वासी