एक झलक' जिसकी एक झलक पाने के लिए वो फिरते रहे कभी मंदिर तो कभी मजीद आज उसने उनको वृद्धाश्रम भी दिखा दिखा दिया अरे बड़े नाजो से पाला था उसने उसको पलकों पे बिठा के आज उसने घर से निकाल उनको सड़कों पे बिठा दिया विवेक #jhalak