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मेरे लिखे गजलों में तिरा न होना अधूरा लगता है, लिख

मेरे लिखे गजलों में तिरा न होना अधूरा लगता है,
लिख कर सुकूँ मिलता है सुना है तुझे बुरा लगता है ।

कल तक मेरा साथ था सब के सब चुप थे तेरे चाहने वाले, 
कल  से  सब  पूछ  रहे  है  उसका  वो  क्या  लगता  है ।

थोड़ा तो लिहाज रख लेते मेरे गुजरे मोहबत का,
अब दिल जलाकर कौन सा तुझे सुकूँ मिलता है ।

 मेरा साथ छोड़ कर तुम गुजार लोगे यूं ही पुरी ज़िन्दगी, 
उसके  साथ  घर  बसा  के  तुम्हें  क्या  लगता  है ।
 
                               ✍ अमितेश निषाद ( सुमित ) #NojotoQuote मेरे लिखे गजलों में तिरा न होना अधूरा लगता है,
लिख कर सुकूँ मिलता है सुना है तुझे बुरा लगता है ।

कल तक मेरा साथ था सब के सब चुप थे तेरे चाहने वाले, 
कल  से  सब  पूछ  रहे  है  उसका  वो  क्या  लगता  है ।

थोड़ा तो लिहाज रख लेते मेरे गुजरे मोहबत का,
अब दिल जलाकर कौन सा तुझे सुकूँ मिलता है ।
मेरे लिखे गजलों में तिरा न होना अधूरा लगता है,
लिख कर सुकूँ मिलता है सुना है तुझे बुरा लगता है ।

कल तक मेरा साथ था सब के सब चुप थे तेरे चाहने वाले, 
कल  से  सब  पूछ  रहे  है  उसका  वो  क्या  लगता  है ।

थोड़ा तो लिहाज रख लेते मेरे गुजरे मोहबत का,
अब दिल जलाकर कौन सा तुझे सुकूँ मिलता है ।

 मेरा साथ छोड़ कर तुम गुजार लोगे यूं ही पुरी ज़िन्दगी, 
उसके  साथ  घर  बसा  के  तुम्हें  क्या  लगता  है ।
 
                               ✍ अमितेश निषाद ( सुमित ) #NojotoQuote मेरे लिखे गजलों में तिरा न होना अधूरा लगता है,
लिख कर सुकूँ मिलता है सुना है तुझे बुरा लगता है ।

कल तक मेरा साथ था सब के सब चुप थे तेरे चाहने वाले, 
कल  से  सब  पूछ  रहे  है  उसका  वो  क्या  लगता  है ।

थोड़ा तो लिहाज रख लेते मेरे गुजरे मोहबत का,
अब दिल जलाकर कौन सा तुझे सुकूँ मिलता है ।