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बहुत अकेला- अकेला लगता है वो शख़्स कितना तन्हा लग

बहुत  अकेला- अकेला लगता है
वो शख़्स कितना तन्हा लगता है

उसने इक तीर चलाई है आखों से और मुझको
देखना ये है वो तीर आकर कहां लगता है

मेरे घर से उस चांद तक का सफर
उसके घर का रास्ता बहुत लंबा लगता है

महफिलों में मुस्कुराना तो पड़ता ही है
वर्ना हमारा दिल आपके बगैर कहां लगता है

क्या मज़ाल की कोई मुझको नाम से पुकारे
पर वो मुझको पागल भी कह दे तो अच्छा लगता है वो पागल भी कह दे तो अच्छा लगता है
❣️❣️❣️
 
.
..
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#kavita #gajal #hindiwriters #hindilovers #mohabbatein
बहुत  अकेला- अकेला लगता है
वो शख़्स कितना तन्हा लगता है

उसने इक तीर चलाई है आखों से और मुझको
देखना ये है वो तीर आकर कहां लगता है

मेरे घर से उस चांद तक का सफर
उसके घर का रास्ता बहुत लंबा लगता है

महफिलों में मुस्कुराना तो पड़ता ही है
वर्ना हमारा दिल आपके बगैर कहां लगता है

क्या मज़ाल की कोई मुझको नाम से पुकारे
पर वो मुझको पागल भी कह दे तो अच्छा लगता है वो पागल भी कह दे तो अच्छा लगता है
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