संसार की समस्त परिस्थितियां आने - जानेवाली , मिलने बिछुड़ने वाली हैं। मनुष्य यह चाहता है कि सुखदायक परिस्थिति बनी रहे और दुखदायक परिस्थिति न आए। परन्तु सुखदायक परिस्थिति जाती ही है और दुखदायक परिस्थिति आती ही है। यह प्रकृति का नियम है अथवा प्रभु का मंगलमय विधान है। अतः साधक को प्रत्येक परिस्थिति प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करनी चाहिए। । श्रीमद्भगवद्गीता : अध्याय दो #श्रीमद्भगवद्गीता #Nojoto