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तेरा दूर जाना एक ख़्वाब था में रातों को जागा तो नी

तेरा दूर जाना एक ख़्वाब था 
में रातों को जागा तो नींदों से बेज़ार था

यूँही तकता रहा में रस्ता तेरा 
में तो राहों में पड़ा बेकार था

तेरे मिलने को क्यों इतना तलबगार था 
शायद मौत को मिलने को में बेक़रार था

यूँही नहीं होती अब मेरी शाम हसीन 
तन्हाई का अपना अलग एक अंदाज था

तुझपर मुझे बड़ा गुमान था 
अभी असली चेहरा देखना बाकी था

सो मसअलहते है इश्क़ में अभी 
हिज्र देखना बाकी था

तुम मानोगी नहीं और में कहूंगा नहीं 
तुमसे इश्क़ मुझे कभी था

©Sagar Oza #intezaar #sagaroza #sagarozashayari #sagarozagoogle
तेरा दूर जाना एक ख़्वाब था 
में रातों को जागा तो नींदों से बेज़ार था

यूँही तकता रहा में रस्ता तेरा 
में तो राहों में पड़ा बेकार था

तेरे मिलने को क्यों इतना तलबगार था 
शायद मौत को मिलने को में बेक़रार था

यूँही नहीं होती अब मेरी शाम हसीन 
तन्हाई का अपना अलग एक अंदाज था

तुझपर मुझे बड़ा गुमान था 
अभी असली चेहरा देखना बाकी था

सो मसअलहते है इश्क़ में अभी 
हिज्र देखना बाकी था

तुम मानोगी नहीं और में कहूंगा नहीं 
तुमसे इश्क़ मुझे कभी था

©Sagar Oza #intezaar #sagaroza #sagarozashayari #sagarozagoogle
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Sagar Oza

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