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काश कि वो दिन लौट के आए भोजन के मां के हांथ से खा

काश कि वो दिन लौट के आए
भोजन  के मां के हांथ से खाएं
थोड़ी मस्ती थोड़ा प्यार
मां  की प्यारी  सी फटकार
सूना है मैदान हमारा
कहा गए मेरे प्यारे यार
है नेत्र तरसता अश्रु बरसता
पाने  को बचपन  की बौछार
गिल्ली डंडा लुप्त हो गए
आया मोबाइल और संचार 
बचपन  के दिन क्या लुप्त हो गए
जीवन में आया हाहाकार
थी गेंद नहीं अनुदान दिए सब
मित्रों ने मिलकर पांच दिनार
आज है जेब में पांच हजार
पर साथ नहीं मेरे प्यारे यार
कहा से लाऊ ढूंढ के वो दिन
मेरे बचपन  के रत्न अपार
                     - दीप के अल्फ़ाज़ #NojotoQuote
काश कि वो दिन लौट के आए
भोजन  के मां के हांथ से खाएं
थोड़ी मस्ती थोड़ा प्यार
मां  की प्यारी  सी फटकार
सूना है मैदान हमारा
कहा गए मेरे प्यारे यार
है नेत्र तरसता अश्रु बरसता
पाने  को बचपन  की बौछार
गिल्ली डंडा लुप्त हो गए
आया मोबाइल और संचार 
बचपन  के दिन क्या लुप्त हो गए
जीवन में आया हाहाकार
थी गेंद नहीं अनुदान दिए सब
मित्रों ने मिलकर पांच दिनार
आज है जेब में पांच हजार
पर साथ नहीं मेरे प्यारे यार
कहा से लाऊ ढूंढ के वो दिन
मेरे बचपन  के रत्न अपार
                     - दीप के अल्फ़ाज़ #NojotoQuote