काश कि वो दिन लौट के आए भोजन के मां के हांथ से खाएं थोड़ी मस्ती थोड़ा प्यार मां की प्यारी सी फटकार सूना है मैदान हमारा कहा गए मेरे प्यारे यार है नेत्र तरसता अश्रु बरसता पाने को बचपन की बौछार गिल्ली डंडा लुप्त हो गए आया मोबाइल और संचार बचपन के दिन क्या लुप्त हो गए जीवन में आया हाहाकार थी गेंद नहीं अनुदान दिए सब मित्रों ने मिलकर पांच दिनार आज है जेब में पांच हजार पर साथ नहीं मेरे प्यारे यार कहा से लाऊ ढूंढ के वो दिन मेरे बचपन के रत्न अपार - दीप के अल्फ़ाज़ #NojotoQuote