घोर गंभीर निशा में मंजिल एक जुगनू था । मुर्ग़-तृष्ना से भागे , ना प्यास बुझी ना प्रकाश मिला । मिला कुछ वो भी तो क्षणभंगुर नश्वर ही था । भूल गए थे हम मंजिल जुगनू नहीं .. मंजिल तो सूर्य-शाश्वत प्रकाश का नया सवेरा(मोक्ष) था । #manjil #bharm #realwaythatushouldchoose