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यूँ तो ज़माने भर की ही कमियां हैं मुझमें और शौक भ

यूँ तो ज़माने भर की  ही कमियां हैं मुझमें और शौक भी नहीं अच्छा बनने का, 
मगर यकीन मानना ए ग़ालिब एक बार जो हाथ पकड़ लूँ तो ताउम्र छोड़ता नहीं।। #8
यूँ तो ज़माने भर की  ही कमियां हैं मुझमें और शौक भी नहीं अच्छा बनने का, 
मगर यकीन मानना ए ग़ालिब एक बार जो हाथ पकड़ लूँ तो ताउम्र छोड़ता नहीं।। #8