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मासूम सा बच्चा था वह बिगड़ जाता था, ठोकर

मासूम  सा  बच्चा   था   वह  बिगड़  जाता  था,
ठोकर  लगती  थ जरा  सी  वह डर  जाता  था!

पापा  का  था   प्यारा   मम्मी  का  वह  दुलारा,
मां  के  प्यार  में  वह  अक्सर  सवर  जाता था!

एक  वक्त  बीता  और  गुज़र  गया जमाना भी,
नासमझ  था  पहले  अब सबको समझाता था!

मेहनत ईमानदारी से काम  करता  था अब जो,
पापा  का  प्यारा  अब  वह  उनका  सहारा था!

सुबह से शाम दिनभर की वही जद्दोजहद फिर,
मां की खुशियां के लिए रोज़ निकल जाता था!

©Shakir khan #chota_bchca_bada_ho_gya

#allalone
मासूम  सा  बच्चा   था   वह  बिगड़  जाता  था,
ठोकर  लगती  थ जरा  सी  वह डर  जाता  था!

पापा  का  था   प्यारा   मम्मी  का  वह  दुलारा,
मां  के  प्यार  में  वह  अक्सर  सवर  जाता था!

एक  वक्त  बीता  और  गुज़र  गया जमाना भी,
नासमझ  था  पहले  अब सबको समझाता था!

मेहनत ईमानदारी से काम  करता  था अब जो,
पापा  का  प्यारा  अब  वह  उनका  सहारा था!

सुबह से शाम दिनभर की वही जद्दोजहद फिर,
मां की खुशियां के लिए रोज़ निकल जाता था!

©Shakir khan #chota_bchca_bada_ho_gya

#allalone