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मेरे दिल पर रोज़ कटारी चलती है। धीरे धीरे दुन

मेरे  दिल  पर  रोज़ कटारी चलती है।
धीरे  धीरे   दुनिया-दारी   चलती   है।।
,
कहने  को है ज़िस्म  हमारा  ज़िंदा पर।
देखों  कैसे  लाश  हमारी   चलती  है।।
,
सारे    प्यादे    मरते   है  रफ़्ता रफ़्ता।
रानी घर  से  अपनी  बारी  चलती  है।।
,
मेरी  बातें   लगती  है,  झूटी  सबको।
इस दुनियां में सिर्फ़ तुम्हारी चलती है।।
,
छोड़ने   वाले  साथ  नहीं  जा पाते है।
ऐसा  झटका  देकर  गाड़ी  चलती है।।
,
ख़ून से लतपथ मैं भी अक्सर होता हूँ।
पेड़  पे  जैसे  जैसे  आरी  चलती  है।।
#रमेश

©Ramesh Singh
मेरे  दिल  पर  रोज़ कटारी चलती है।
धीरे  धीरे   दुनिया-दारी   चलती   है।।
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कहने  को है ज़िस्म  हमारा  ज़िंदा पर।
देखों  कैसे  लाश  हमारी   चलती  है।।
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सारे    प्यादे    मरते   है  रफ़्ता रफ़्ता।
रानी घर  से  अपनी  बारी  चलती  है।।
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मेरी  बातें   लगती  है,  झूटी  सबको।
इस दुनियां में सिर्फ़ तुम्हारी चलती है।।
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छोड़ने   वाले  साथ  नहीं  जा पाते है।
ऐसा  झटका  देकर  गाड़ी  चलती है।।
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ख़ून से लतपथ मैं भी अक्सर होता हूँ।
पेड़  पे  जैसे  जैसे  आरी  चलती  है।।
#रमेश

©Ramesh Singh
rameshsingh8886

Ramesh Singh

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