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वृक्ष धरती मां का कर्ज उतारें वृक्षों से सीखो

वृक्ष
धरती मां का कर्ज उतारें
     वृक्षों से सीखो कैसे।
सबको प्रेम की छाया देकर
     खुद जलता है, देखो जैसे।

पत्ते, फूल,फूल, तने सभी
     सब न्योछावर करता सब पर।
तिनका तिनका लुटा चुका
     औरों के जीवन पर ऐसे।

हवा, मेघ और बारिश बूंदे
     वृक्षों के ही साथी हैं।
जीवन का आधार बने
  हो जीवन साथी तो ऐसे।

                                                                        काटो नहीं इसे तुम आदम
                                                                                  काटोगे तो मिट जाओगे।
                                                                          एक एक वृक्ष लगाकर देखो
                                                                                  जीवन के हो पूरक जैसे।

                                                                               हरियाली हो धरा तभी तो
                                                                                    अंबर नीला हो जाए।
                                                                                 बूंद बूंद अवशोषित करते
                                                                                      ‌ नभ में बादल हो ऐसे।

                                                                              संरक्षण कर इसे बचाओ
                                                                                         यह तुमको मिटने नहीं देगा।
                                                                               नेह लुटा कर जीवन अर्पण
                                                                                     करता मां के आंचल जैसे।

                                                                                                    संवेदिता

©Samvedita #World_environment_day 
#samvedita 
#विश्व_पर्यावरण_दिवस 

#tree
वृक्ष
धरती मां का कर्ज उतारें
     वृक्षों से सीखो कैसे।
सबको प्रेम की छाया देकर
     खुद जलता है, देखो जैसे।

पत्ते, फूल,फूल, तने सभी
     सब न्योछावर करता सब पर।
तिनका तिनका लुटा चुका
     औरों के जीवन पर ऐसे।

हवा, मेघ और बारिश बूंदे
     वृक्षों के ही साथी हैं।
जीवन का आधार बने
  हो जीवन साथी तो ऐसे।

                                                                        काटो नहीं इसे तुम आदम
                                                                                  काटोगे तो मिट जाओगे।
                                                                          एक एक वृक्ष लगाकर देखो
                                                                                  जीवन के हो पूरक जैसे।

                                                                               हरियाली हो धरा तभी तो
                                                                                    अंबर नीला हो जाए।
                                                                                 बूंद बूंद अवशोषित करते
                                                                                      ‌ नभ में बादल हो ऐसे।

                                                                              संरक्षण कर इसे बचाओ
                                                                                         यह तुमको मिटने नहीं देगा।
                                                                               नेह लुटा कर जीवन अर्पण
                                                                                     करता मां के आंचल जैसे।

                                                                                                    संवेदिता

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