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क्या सबकुछ नश्वर हैं, तो फिर शाश्वत क्या हैं ...!!

क्या सबकुछ नश्वर हैं, तो फिर शाश्वत क्या हैं ...!!!! क्या इस सकल ब्रह्माण्ड मे ऐसा बजी कुछ हैं जो नश्वर नही हैं ?

यह प्रश्न भी उतना ही जटिल हैं, जितना यह जानना की शाश्वत आखिर हैं क्या? अगर बात करें इस विषय पर तो एक ही बात कँह सकते हैं, जिसका अन्त कभी ना हो वही शाश्वत हैं। मगर ऐसा तो कुछ हैं ही नही जिसका अन्त कभी नही होगा। सिर्फ विचार और शून्य के, क्योकी विचार कभी अन्त नही हो सकते, सबकुछ विचारों के ही तो अधीन हैं, और विचार विलिन होते हैं शून्य मे। अर्थात् शाश्वत सिर्फ और सिर्फ शून्य हैं। यही शाश्वत सत्य हैं।
क्योकी अगर देखा जाये तो वह सभी चीजें जो किसी ना किसी प्रकार से क्रिया शील हैं, उसका अन्त निश्चित हैं। चाहे वह, यह पृथ्वी हो, सूर्य हो , आकाश गंगा हो या यह ब्रह्माण्ड ही क्यो ना हो। हां यह बात जरुर हैं की इनकी आयु की उम्र इतनी ज्यादा हैं, जो कितने ही युगों को अपने मे समेटती हैं। विज्ञान भी कहता हैं, हर चीज अपने निश्चित टाईम पिरियड मे किसी ना किसी अवस्था मे गतिमान हैं, और अगर वह टाईम पिरियड मे गतिमान हैं, तो उसक अन्त निश्चित ही हैं। अगर वेदों की बात करे तो सूर्य की उम्र वेदो के अनुसार 1200 करोड़ वर्ष तक की हैं, और अभी तक सूर्य 460 करोड़ वर्ष उम्र पुर्ण कर चुका हैं। ठीक उसी प्रकार पृथ्वी की उम्र 1100 करोड़ वर्ष की हैं, और पृथ्वी लगभग 450 करोड़ वर्ष पुर्ण कर चुकी हैं। इसी तरह हर युग की आयु भी बताई गई हैं, जैसे सतयुग 17 लाख 28000 वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96000 वर्ष , द्वापर युग 8 लाख 64000 वर्ष, और कलयुग की आयु 4 लाख 32000 वर्ष बताई गई हैं। 
और अभी तक ऐसे 10 आयाम बीत चुके हैं। आयाम मतलब 4 युगों का एक आयाम होता हैं।
अर्थात् अगर देखा जाये तो, हर चीज नश्वर ही हैं, यहां तक की हर आयाम के बाद ईश्वर भी फ़िर जन्म लेते हैं। उसी शून्य से जिसमे सब विलिन हो जाता हैं। और फ़िर वही सृष्टि की रचना का कार्य शुरु हो जाता हैं। अब अगर इतने बड़े युगों का अन्त हो गया, उनकी भी आयु निर्धारित थी, जो उनके कालखंड मे व्यतीत होती रही। तो फिर हमारे समक्ष उपस्थित हर चीज कहिं ना कहीं अपने कालखंड मे खर्च अर्थात धीरे धीरे नश्वरता की और ही अग्रसर हैं। फ़िर चाहे वह पर्वत, वृक्ष, नदिया हो या धर्म, ब्रह्माण्ड, आस्था हो। सबका अन्त निश्चित ही हैं। सभी का शून्य मे विलिन होना तय हैं। शाश्वत वही शून्य हैं और कुछ नही। और शायद उस शून्य की महत्ता को आज कोई समझ ही नही रहा।
और इसमे भी एक मजेदार बात पता हैं क्या हैं । पर्यावरण और प्रकृति का कलयुग मे जितना हास हो रहा हैं, उतना इतने युग बीत गये उनमे भी नही हुआ। और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कलयुग अभी अपनी 2 प्रतीशत उम्र भी पूरी नही कर पाया है। और उसमे ही इतना प्रदूषण तो सोचिये आगे का क्या होगा। जैसे जैसे प्रदूषण का स्तर बड़ता जायेगा, लोगों की ऊंचाई और उम्र कम होते चले जायेंगे। साथ हो साथ वह मानसिक तौर पर विकलांग होते चले जायेंगे। अब रही बात यहां तो अगले 100 साल मे शायद पृथ्वी पर साँस लेना तक दूभर हो जायेगा। 
यह सत्य हैं, सब नश्वर हैं। मगर जो आज हैं, उसकी कदर करना भी जरुरी हैं। आप आगे अपनी आने वाली पीडियों को क्या देके जाने वालेहो यह सोचकर रखो। पैसा कमाने से कुछ नही होगा, हो सके तो आज इस पर्यावरण को बचा लो। वरना ऐसा ना हो, की आपका कमाया किसी काम का ना रहे, क्योकी अगर वायुमंडल और पर्यावरण इस लायक ही नही रहा की कोई साँस भी ले पायें तो, आपकी पीडिया आएंगी कहां से।
क्या सबकुछ नश्वर हैं, तो फिर शाश्वत क्या हैं ...!!!! क्या इस सकल ब्रह्माण्ड मे ऐसा बजी कुछ हैं जो नश्वर नही हैं ?

यह प्रश्न भी उतना ही जटिल हैं, जितना यह जानना की शाश्वत आखिर हैं क्या? अगर बात करें इस विषय पर तो एक ही बात कँह सकते हैं, जिसका अन्त कभी ना हो वही शाश्वत हैं। मगर ऐसा तो कुछ हैं ही नही जिसका अन्त कभी नही होगा। सिर्फ विचार और शून्य के, क्योकी विचार कभी अन्त नही हो सकते, सबकुछ विचारों के ही तो अधीन हैं, और विचार विलिन होते हैं शून्य मे। अर्थात् शाश्वत सिर्फ और सिर्फ शून्य हैं। यही शाश्वत सत्य हैं।
क्योकी अगर देखा जाये तो वह सभी चीजें जो किसी ना किसी प्रकार से क्रिया शील हैं, उसका अन्त निश्चित हैं। चाहे वह, यह पृथ्वी हो, सूर्य हो , आकाश गंगा हो या यह ब्रह्माण्ड ही क्यो ना हो। हां यह बात जरुर हैं की इनकी आयु की उम्र इतनी ज्यादा हैं, जो कितने ही युगों को अपने मे समेटती हैं। विज्ञान भी कहता हैं, हर चीज अपने निश्चित टाईम पिरियड मे किसी ना किसी अवस्था मे गतिमान हैं, और अगर वह टाईम पिरियड मे गतिमान हैं, तो उसक अन्त निश्चित ही हैं। अगर वेदों की बात करे तो सूर्य की उम्र वेदो के अनुसार 1200 करोड़ वर्ष तक की हैं, और अभी तक सूर्य 460 करोड़ वर्ष उम्र पुर्ण कर चुका हैं। ठीक उसी प्रकार पृथ्वी की उम्र 1100 करोड़ वर्ष की हैं, और पृथ्वी लगभग 450 करोड़ वर्ष पुर्ण कर चुकी हैं। इसी तरह हर युग की आयु भी बताई गई हैं, जैसे सतयुग 17 लाख 28000 वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96000 वर्ष , द्वापर युग 8 लाख 64000 वर्ष, और कलयुग की आयु 4 लाख 32000 वर्ष बताई गई हैं। 
और अभी तक ऐसे 10 आयाम बीत चुके हैं। आयाम मतलब 4 युगों का एक आयाम होता हैं।
अर्थात् अगर देखा जाये तो, हर चीज नश्वर ही हैं, यहां तक की हर आयाम के बाद ईश्वर भी फ़िर जन्म लेते हैं। उसी शून्य से जिसमे सब विलिन हो जाता हैं। और फ़िर वही सृष्टि की रचना का कार्य शुरु हो जाता हैं। अब अगर इतने बड़े युगों का अन्त हो गया, उनकी भी आयु निर्धारित थी, जो उनके कालखंड मे व्यतीत होती रही। तो फिर हमारे समक्ष उपस्थित हर चीज कहिं ना कहीं अपने कालखंड मे खर्च अर्थात धीरे धीरे नश्वरता की और ही अग्रसर हैं। फ़िर चाहे वह पर्वत, वृक्ष, नदिया हो या धर्म, ब्रह्माण्ड, आस्था हो। सबका अन्त निश्चित ही हैं। सभी का शून्य मे विलिन होना तय हैं। शाश्वत वही शून्य हैं और कुछ नही। और शायद उस शून्य की महत्ता को आज कोई समझ ही नही रहा।
और इसमे भी एक मजेदार बात पता हैं क्या हैं । पर्यावरण और प्रकृति का कलयुग मे जितना हास हो रहा हैं, उतना इतने युग बीत गये उनमे भी नही हुआ। और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कलयुग अभी अपनी 2 प्रतीशत उम्र भी पूरी नही कर पाया है। और उसमे ही इतना प्रदूषण तो सोचिये आगे का क्या होगा। जैसे जैसे प्रदूषण का स्तर बड़ता जायेगा, लोगों की ऊंचाई और उम्र कम होते चले जायेंगे। साथ हो साथ वह मानसिक तौर पर विकलांग होते चले जायेंगे। अब रही बात यहां तो अगले 100 साल मे शायद पृथ्वी पर साँस लेना तक दूभर हो जायेगा। 
यह सत्य हैं, सब नश्वर हैं। मगर जो आज हैं, उसकी कदर करना भी जरुरी हैं। आप आगे अपनी आने वाली पीडियों को क्या देके जाने वालेहो यह सोचकर रखो। पैसा कमाने से कुछ नही होगा, हो सके तो आज इस पर्यावरण को बचा लो। वरना ऐसा ना हो, की आपका कमाया किसी काम का ना रहे, क्योकी अगर वायुमंडल और पर्यावरण इस लायक ही नही रहा की कोई साँस भी ले पायें तो, आपकी पीडिया आएंगी कहां से।