परखे बिना किसी को बुरा कहना नही अच्छा। रखो मन साफ़ यूँ बुरे विचारों के साथ रहना नही अच्छा। क्यों बनाते हो बेवजह किसी के लिए झूठा मायाजाल। सुनो यूँ किसी की ज़िंदगी को नर्क बनाना नही अच्छा। हो इंसान तो इंसानों की तरह रहो यूँ ख़ुद को ही बुरा किसी से कहलवाना नही अच्छा। मजबूर इतना भी नही किया तुम्हें ज़िन्दगी ने की तुम दो पल की रोटी भी न खा सको। यूँ पापी पेट के लिए बुरे तरीके से पैसा कमाना नही अच्छा। है दम तुम में भी बुरी अपनी किस्मत को मेहनत से पलटने का। तो फिर यूँ ज़िन्दगी के जख्मों के आगे सर झुकाना नही अच्छा। सुन लो तुम भी ऐ ऊँचे मकानवालों यूँ चंद सिक्कों की खनक पर इतना भी इतराना नही अच्छा। वक़्त गिरा होता है जिनका पहले से ही ऐसे लोगों को गिराना नही अच्छा। औक़ात तो एक दिन सबको ये मौत दिखाएगी अपनी। यूँ बार बार तुम्हारा किसी को नीचा दिखाना नही अच्छा। इंसान हो तुम तो सबको ही इंसान समझो। यूँ जानवरों सा किसी को सताना नही अच्छा। देखो जो किसी को भी ग़म में तो आगे बढ़कर उसकी मदद करो। यूँ उसकी लाचारी पर कभी मुस्कुराना नही अच्छा। Rekha💕Sharma(हृदयमंजूला) Gori Smita❤️ishu Satya Prakash Upadhyay indira