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हर इंसान गुमराह है जमाने के बहाव में, कोई कीचड़ मे

हर इंसान गुमराह है जमाने के बहाव में,
कोई कीचड़ में पैर रख सोच रहा कीचड़ ना लगे दामन में,
तो कोई खुद कीचड़ बन जमाने को तबाह कर रहा ।
जब पता है कीचड़ फैला है सरको पर,
तो हर्ज क्या है खुद को बचाने में ।
और कीचड़ हटाने का काम नहीं होता आसान,
कभी कभी तख्ते पलट जाती है हटाने में। हर इंसान गुमराह है जमाने के बहाव में,
कोई कीचड़ में पैर रख सोच रहा कीचड़ ना लगे दामन में,
तो कोई खुद कीचड़ बन जमाने को तबाह कर रहा ।
जब पता है कीचड़ फैला है सरको पर,
तो हर्ज क्या है खुद को बचाने में ।
और कीचड़ हटाने का काम नहीं होता आसान,
कभी कभी तख्ते पलट जाती है हटाने में।
हर इंसान गुमराह है जमाने के बहाव में,
कोई कीचड़ में पैर रख सोच रहा कीचड़ ना लगे दामन में,
तो कोई खुद कीचड़ बन जमाने को तबाह कर रहा ।
जब पता है कीचड़ फैला है सरको पर,
तो हर्ज क्या है खुद को बचाने में ।
और कीचड़ हटाने का काम नहीं होता आसान,
कभी कभी तख्ते पलट जाती है हटाने में। हर इंसान गुमराह है जमाने के बहाव में,
कोई कीचड़ में पैर रख सोच रहा कीचड़ ना लगे दामन में,
तो कोई खुद कीचड़ बन जमाने को तबाह कर रहा ।
जब पता है कीचड़ फैला है सरको पर,
तो हर्ज क्या है खुद को बचाने में ।
और कीचड़ हटाने का काम नहीं होता आसान,
कभी कभी तख्ते पलट जाती है हटाने में।