क्या बताएं जनकदुलारी वैदेही प्रभु श्री राम उस पार हैं.. गलती पर हुई गलती थी सज़ा भयंकर मिली.. मृग सोने का ना होता क्या ना जानती वैदेही थी.. फिर नियति की लिखी थी वो होना ही था.. जिद्द जानकी को आया.. मौक़ा दूजा भी मिला था देवर जस भाई ने लक्ष्मण रेखा खिंच सीमा बतलाई थी मगर जो विधि ने रचा था वो होना था.. इसलिए ही बचा लक्ष्मण रेखा भी ना पाया.. आज वाटिका अशोक में बैठी पछता रही वैदेही क्यों ना पति देवर का कहना ना उसने माना... दि कु पा "बीनू" ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1043 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।