कैसा कोरोना काल आया, मौत का संग जाल लाया, धन दौलत सड़ रही है, काम आती है ना माया, सारी शान आे शौकत देखों, आज चकना चूर है, आज दौलत वाले भी देख लो मजबुर है। घर में देखों भूख मारे, बाहर मौत पांव पसारे, कहीं भी बचना है मुश्किल छुप रहे सब मारे मारे, यम के दूत हो खड़े , आज मुझको ताकते है, गिद्ध ललचाई नजर से, मेरे घर में झांकते है। जबसे लक्षण नजर आते, बीबी, बच्चे छोड़ जाते, दोस्त कोई रह ना जाता, सभी अब नजरें चुराते, काश मै गीता का ब्रह्म ज्ञान जान लेता, अच्छा होता वक़्त रहते सत्य को पहचान लेता। sk mishra (स्वरचित) #korona #penpoetry