चाँद-तारों से भी पुराना इश्क है अपना लगता है हमें डर, कहीं ऐसी-वैसी बात ना कह दें बातों में तेरी किसी की साँसें अटकी हैं तेरी जुल्फों के साये में,कहीं दिन को रात ना कह दें मैं जो कहता था इश्क में क्या रखा है तेरी निगाहों में उतरकर,कहीं मँज़िलों को शुरुआत ना कह दें मुश्किलों से मिली हो,जरा थोड़ी देर ठहरो तेरी बाहों के घेरों में,कहीं खुद को परिजात ना कह दें कभी दूर जा रही हो,कभी पास आ रही हो एक समंदर की चाहत में,कहीं बूंदों को बरसात ना कह दें मैं हवा बन जाऊँ,तुम खुश्बू बन जाओ अपनी साझी मोहब्बत को,कहीं लोग महज़ इत्तेफ़ाक ना कह दे... © trehan abhishek #चाँदतारे #पुराना_इश्क़ #मोहब्बत #इत्तेफाक #manawoawaratha #lovestory #yqaestheticthoughts #yqrestzone