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इश्क़ कर लिया है जब तो अब जहन्नुम से कैसा खौफ़. ख

इश्क़ कर लिया है जब तो अब जहन्नुम से कैसा खौफ़. 
ख़ामोशी को करने दो इज़हार, हो जन्नत के जैसा रौब. "मुंतज़िर:- awaiter"

"आता है जब इज़हार का दिन ,
क़यामत सी तारी होती है उस दिन

मिले फिर भी इनकार मुद्दतो के मुंतज़िर को, "फ़हद"
दिल को जहन्नुम हासिल होती है उस दिन....!"
इश्क़ कर लिया है जब तो अब जहन्नुम से कैसा खौफ़. 
ख़ामोशी को करने दो इज़हार, हो जन्नत के जैसा रौब. "मुंतज़िर:- awaiter"

"आता है जब इज़हार का दिन ,
क़यामत सी तारी होती है उस दिन

मिले फिर भी इनकार मुद्दतो के मुंतज़िर को, "फ़हद"
दिल को जहन्नुम हासिल होती है उस दिन....!"