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काशिम जरा सुनलो कि हर उमर के पड़ाव में इश्क़ होता

काशिम जरा सुनलो कि हर उमर के पड़ाव में इश्क़ होता है।।
दिल कब बदल जाये कहाँ ऐतबार   होता है।।
ये आखों से अशक समंदर  चुरा कर फिर  मुसकुरा देते है।।
ये वकत के चलते खुद को बदल देते हैं।।
#बुढ़ापे#का इशक़ #बुढ़ापे का इशक़
काशिम जरा सुनलो कि हर उमर के पड़ाव में इश्क़ होता है।।
दिल कब बदल जाये कहाँ ऐतबार   होता है।।
ये आखों से अशक समंदर  चुरा कर फिर  मुसकुरा देते है।।
ये वकत के चलते खुद को बदल देते हैं।।
#बुढ़ापे#का इशक़ #बुढ़ापे का इशक़