वो अनजाना- सा चेहरा जिसपे थहर गईं थी मेरी नजर एक टक देखती रह गईं वो खामोशी उस चेहरे की जिसपे पढा़ था मैंने थोडा़ गुस्सा थोडा़ गम कितना कुछ बोल रहीं थी उसकी आँखें जो चुपके से मुझे देख रहीं थी जब नजर पडी़ तो एक मुस्कुराहट थी उसपे सोचा था रोज मिलना होगा उसका उस जगह अब कहाँ खो गया अचानक पता नही बहुत तलाशा था पता नही क्यूँ लगा था जाना पहचाना-सा आज भी याद आ जाता है कभी-कभी vertika maurya😊 #पहली_बार #title #WorldPoetryDay टहलते टहलते आज कुछ खयाल आया लिख दिया🤔🙂