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दर्द कागज पर मेरा बिकता रहा, मैं बेचैन था रात भर ल

दर्द कागज पर मेरा बिकता रहा, मैं बेचैन था रात भर लिखता रहा📝
 छू रहे थे सब बुलंदिया आसमान की,
 मैं सितारों के बीच चांद की तरह छुपता रहा,
 अकड़ होती तो कब का टूट गया होता
 मैं था नाजुक डाली जो सब के आगे झुकता रहा,
बदले यहां लोगों ने रंग अपने अपने ढंग से,
 रंग मेरा भी निखरा पर मैं मेहंदी की तरह पिस्ता रहा, जिनको जल्दी थी वो बढ़ चले मंजिल की ओर
 मैं राज गहराइयों के समंदर से सीखा है
दर्द कागज पे मेरा  बिकता रहा😭😭

©Rupesh Vishwakarma #actor_Rupesh_Vishwakarma #Kaushambi_Uttar_Pradesh #nojoto 
#UP_73

#solotraveller
दर्द कागज पर मेरा बिकता रहा, मैं बेचैन था रात भर लिखता रहा📝
 छू रहे थे सब बुलंदिया आसमान की,
 मैं सितारों के बीच चांद की तरह छुपता रहा,
 अकड़ होती तो कब का टूट गया होता
 मैं था नाजुक डाली जो सब के आगे झुकता रहा,
बदले यहां लोगों ने रंग अपने अपने ढंग से,
 रंग मेरा भी निखरा पर मैं मेहंदी की तरह पिस्ता रहा, जिनको जल्दी थी वो बढ़ चले मंजिल की ओर
 मैं राज गहराइयों के समंदर से सीखा है
दर्द कागज पे मेरा  बिकता रहा😭😭

©Rupesh Vishwakarma #actor_Rupesh_Vishwakarma #Kaushambi_Uttar_Pradesh #nojoto 
#UP_73

#solotraveller