सुनो! आजकल तुम कुछ, इस तरह चहकने लगी हो रोज सवेरे। कि जैसे कोयल चहक रही हो गर्मी के महीने में छत की मुंडेरे। ★★ सभी रचनाकारों से अनुरोध है कि लिखने से पूर्व कैप्शन भली भांति पढ़ें★★★ #collabchallenge ★ इस कोलाब को पूर्ण कीजिये एवं तस्वीर के सम्मुख खाली जगह पर ही लिखने का प्रयास करें। ★ तस्वीर के ऊपर अगर शब्द आते हैं तो आपकी रचना को प्रतियोगिता में शामिल नहीं किया जायेगा। .