एष यज्ञानां विततो वहिष्ठो गृहस्थ आश्रम यज्ञ सभी यज्ञों से महान यज्ञ है, इसका सावधानी पूर्वक प्रयोग करो। अथर्व० ४/३४/५ #वेदज्ञान गृहस्थ आश्रम की गम्भीरता को समझें और आनन्द लें।