मैं बारिश की बोली समझता न था हवाओं से मै यूं उलझता न था। है सीने में दिल भी, कहां थी मुझे यह खबर। कहीं पर हो राते, कहीं पे सवेरे। आवारगी ही रही मेरे साथ । ठहर जा , ठहर जा यह कहती है तेरी नजर । #NvnShekhawat