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शाम भी अब मुझे रात सी लगती है नींद नहीं आती, बस आं

शाम भी अब मुझे रात सी लगती है
नींद नहीं आती, बस आंख सी लगती है

कहते नहीं अब किसी से दिल के बात हम
ये बात नहीं कहने की बात सी लगती है

जब से देखा है आशिक़ का जनाजा 
मय्यत मुझे बारात सी लगती है

वो आकर करती है जब मुझसे बातें
जिंदगानी तब ये शादाब सी लगती है

पूछती है करते हो मुझसे प्यार कितना
जवाब इसका उसे सियासी बात सी लगती है #thoughtwriter
शाम भी अब मुझे रात सी लगती है
नींद नहीं आती, बस आंख सी लगती है

कहते नहीं अब किसी से दिल के बात हम
ये बात नहीं कहने की बात सी लगती है

जब से देखा है आशिक़ का जनाजा 
मय्यत मुझे बारात सी लगती है

वो आकर करती है जब मुझसे बातें
जिंदगानी तब ये शादाब सी लगती है

पूछती है करते हो मुझसे प्यार कितना
जवाब इसका उसे सियासी बात सी लगती है #thoughtwriter