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खत्म सी हो रही हूँ दिन ब दिन मै , इतनी हिम्मत अब

 खत्म सी  हो रही हूँ दिन ब दिन मै ,
इतनी हिम्मत अब कहा से लाऊ ।

खुद से ही खफा हूँ अब इस कदर मै ,
खुद से ही भाग कर कहा तक जाऊ।

टूट चुकी हूँ पूरी तरह अब ऐसे,
खुद की खुद से ही कैसे मनाऊ।

एक चहरा मेरा जो बुझ सा गया है,
उस चहरे पर रौनक कहा से लाऊ।

©miss madhu chaudhary
  #thelunarcycleankahe ehshas