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कुछ अलहदा से ख्वाब मुस्कुराते हुए, जी लूं कुछ पल अ

कुछ अलहदा से ख्वाब मुस्कुराते हुए,
जी लूं कुछ पल अब जाते - जाते हुए.....
धुन भी तुम सरगम भी ताल भी तुम,
मैं गुनगुनाता रहूंगा आते जाते हुए......
- प्रशांत निगम

©Prashant Nigam
  #2017

2017 #कविता

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