"तू लाचार नहीं" (कविता) हे नारी, तू सारे जग की उत्पत्ति का आधार, दैवीय गुण शक्ति का स्वरूप तू ही संतानों में दे संस्कार, तू नहीं भोग-विलास की वस्तु