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"तू लाचार नहीं" (कविता) हे नारी, तू सारे जग की उ

 "तू लाचार नहीं"
 (कविता)

हे नारी, तू सारे जग की
उत्पत्ति का आधार,
दैवीय गुण शक्ति का स्वरूप
तू ही संतानों में दे संस्कार,
तू नहीं भोग-विलास की वस्तु
 "तू लाचार नहीं"
 (कविता)

हे नारी, तू सारे जग की
उत्पत्ति का आधार,
दैवीय गुण शक्ति का स्वरूप
तू ही संतानों में दे संस्कार,
तू नहीं भोग-विलास की वस्तु