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सोशल मीडिया के इस ज़माने में जितना आसान है किसी से

सोशल मीडिया के इस ज़माने में 
जितना आसान है किसी से कनेक्ट 
होना, उतना ही आसान है किसी 
अपने से यहाँ डिसकनेक्ट हो जाना। 

(शेष अनुशीर्ष में पढ़ें) सोशल मीडिया के इस ज़माने में जितना आसान है किसी से कनेक्ट होना, उतना ही आसान है किसी अपने से यहाँ डिसकनेक्ट हो जाना। 

कभी फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, यौरकोट, यूट्यूब आदि जैसे प्लेटफार्म पर मैं कुछ न कुछ देखती, पढ़ती, सुनती रहती हूँ।

इतवार के दिन, अलसाई सी ग्रीष्म दोपहरी में, गर्मी से परेशान, मैं बालकनी के दरवाज़े खोलकर, बिस्तर के हैडबोर्ड पर सिर टिका कर, अपना फ़ोन लिए बैठ गई। कभी हैडबोर्ड पर उल्टे पाँव टिका लेट जाती तो कभी तकिये पर सपोर्ट लेके बैठ जाती। 

बिजली भी load shedding की वजह से बंद थी औ
सोशल मीडिया के इस ज़माने में 
जितना आसान है किसी से कनेक्ट 
होना, उतना ही आसान है किसी 
अपने से यहाँ डिसकनेक्ट हो जाना। 

(शेष अनुशीर्ष में पढ़ें) सोशल मीडिया के इस ज़माने में जितना आसान है किसी से कनेक्ट होना, उतना ही आसान है किसी अपने से यहाँ डिसकनेक्ट हो जाना। 

कभी फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, यौरकोट, यूट्यूब आदि जैसे प्लेटफार्म पर मैं कुछ न कुछ देखती, पढ़ती, सुनती रहती हूँ।

इतवार के दिन, अलसाई सी ग्रीष्म दोपहरी में, गर्मी से परेशान, मैं बालकनी के दरवाज़े खोलकर, बिस्तर के हैडबोर्ड पर सिर टिका कर, अपना फ़ोन लिए बैठ गई। कभी हैडबोर्ड पर उल्टे पाँव टिका लेट जाती तो कभी तकिये पर सपोर्ट लेके बैठ जाती। 

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