बहुत डरती थी कभी मैं पटाखों के शोर से, और न कभी फुलझड़ी ही हाथ से पकड़ पायी.. न जाने कैसा डर था अंदर मेरे, पर पिछली दिवाली किसी ने हाथ थाम मेरा, पटाखे ओर फुलझड़ी जलायी.. अब फिर वही जगमग दिवाली आयी, जिसने मेरे अंदर के डर को दूर किया, भले ही अब वो दूर हो मुझसे, पर इसबार कोई डर नही ,बस खुशियां होंगी , इस शोर ओर जगमग में, साथ मेरे उसकी प्यारी यादें होंगी... @nidsneel.. #diwaali#diye#pathakhe#phuljhari#love#togetherness#feels#lights