बंद कमरे झांकती खिड़की से धूप आयी शायद मेरी शिसक देखने खामोश धड़कन सुगबुगाती यादें कुसी आयी ना शायद बंद से दरवाजे देखने धूप भी समेट रही है खुदको, शायद छाये का असर है खींच ली पैर खुदकी , शायद मेरे अंधेरे के डर के असर है .....कुन्दन (2019) #KuSi