"अश्कों को मरहम के लिए जो खाब नहीं मिलता, जो तारा को खिलने के लिए महताब नहीं मिलता, नूर मुद्दतों रहती नूरियत में भी तो दीदार को आफ़ताब नहीं मिलता" #synthesis#birth#love ©कपिलदेव सिंह #shivaShakti #creation