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कल तक जो आसूं पीते थे आज लबों से बोल रहें हैं, घुट

कल तक जो आसूं पीते थे
आज लबों से बोल रहें हैं,
घुट घुट कर जीवन जीते थे
आज दिलों को खोल रहें हैं,
कल तक थी इक बात जुबां पे
कविता आख़िर क्या ही देगी,
अब दुनियां देख रही है प्यारे
कविता जीना सिखा ही देगी

©ASHUTOSH 'ASHU'
  #Likho #Worlfpoetryday