तुममें अंतर ढूँढ रहा हूँ मैं कुछ बेहतर ढूँढ रहा हूँ स्कूलों की दीवारों में नींव का पत्थर ढूँढ रहा हूँ कहाँ रखूँ मैं हाथ दुआ का ऐसा ही सर ढूँढ रहा हूँ मेरे साथ चलेगा कोई एक हमसफ़र ढूँढ रहा हूँ कागज कलम किताबें लेकर अक्षर अक्षर ढूँढ रहा हूँ ब्लैक बोर्ड है साथी मेरा चाक और डस्टर ढूँढ रहा हूँ यदि पेंसिल नें गलत लिखा तो रबर इरेजर ढूँढ रहा हूँ बाहर सबको ढूँढ चुका अब अंदर अंदर ढूँढ रहा हूँ शायद कुछ मोती मिल जाये एक समंदर ढूँढ रहा हूँ गुरू हूँ मैं सुकरात के जैसा तभी सिकंदर ढूँढ रहा हूँ _______________________ ✍️✍️ रवि श्रीवास्तव (प्रवक्ता, हिन्दी भाषा एवं साहित्य) स्कूल डायरी "बच्चों के बीच में" ©Ravi Srivastava #GoldenHour