तुमसे मिलता हूँ रोज़ , ताकि खुद के करीब आ सकूँ, ज्यादा ना सही , कुछ तो राज़ ज़िन्दगी के जान सकूँ, क़ैद होकर कायदों में जिए है कई साल मैंने, अब कोशिश ही सही मगर , कुछ आज़ादी से तो कुछ लम्हें गुजार सकूँ, तुमसे मिलता हूँ रोज़ , ताकि खुद के करीब आ सकूँ...!! shayari #shayari #nojoto