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अब तसल्ली किसी की हज़म होतीं नहीं, हौंसले से मिलत

अब तसल्ली किसी की हज़म होतीं नहीं,

हौंसले से मिलती रोटी नहीं,

क्या करूं ओड कर चादर तुम्हारी हमदर्दी की,

खाली पेट तो आँख भी सोती नहीं,,,


रिम्मी बेदी नज़र

©NAZAR
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