तस्वीर और कूडेदान तस्वीर कोई एसा कागज का तुकडा नहीं है जिसपे आप अपनी खुबसूरती कैद करते हो । कैमरामैन के इशारों के बाद, उसके यह तय करने के बाद कि आप कितना मुस्कुराएंगे, कैसे मुस्कुराएंगे,कैसे बैठेंगे, आपके चहरे के भाव क्या होगें । इन सब तमाशों के बाद आप कुछ पलों के लिए खुबसूरत लगे भी तो एक कैमरामैन की नजर से । तो वो बेहद खुबसूरत तस्वीर जिसमे आप नकली मुस्कुरा रहे हो , वो तस्वीर मे वो चहरा असली कैसे हो सकता है जो कैमरामैन के इशारों पे बना हो? तो तस्वीर सबूत है एक कि आप कुछ पलों के लिए खुबसूरत हुए । तस्वीर बस उस एक पल की है जब आप खुबसूरत दिखे, आपकी नहीं । वो तस्वीर उस वक्त को कैद करने के लिए थी, आपकी खुबसूरती कैद करने के लिए नहीं.. भाग -2 कैप्शन मे पढें । तस्वीर कोई एसा कागज का तुकडा नहीं है जिसपे आप अपनी खुबसूरती कैद करते हो । कैमरामैन के इशारों के बाद, उसके यह तय करने के बाद कि आप कितना मुस्कुराएंगे, कैसे मुस्कुराएंगे,कैसे बैठेंगे, आपके चहरे के भाव क्या होगें । इन सब तमाशों के बाद आप कुछ पलों के लिए खुबसूरत लगे भी तो एक कैमरामैन की नजर से । तो वो बेहद खुबसूरत तस्वीर जिसमे आप नकली मुस्कुरा रहे हो , वो तस्वीर मे वो चहरा असली कैसे हो सकता है जो कैमरामैन के इशारों पे बना हो? तो तस्वीर सबूत है एक कि आप कुछ पलों के लिए खुबसूरत हुए । तस्वीर बस उस एक पल की है जब आप खुबसूरत दिखे, आपकी नहीं । वो तस्वीर उस वक्त को कैद करने के लिए थी, आपकी खुबसूरती कैद करने के लिए नहीं.. एक महान पर्यावरण सेवक, संरक्षक को लगा कि क्यों ना पर्यावरण को बचाने के लिए कुछ लिखा जाए । वो प्लास्टिक की कुर्सी पर बैठा, लकडी की टेबल को अपनी तरफ खिंचा, एसी के रिमोट के नीचे रखे एक शाही मोटे कागज को निकाला और अपने प्लास्टिक के पैन से लिखा "हमें पेल नहीं कटने देने है...। अरे यह तो गलत हो गया, मैंने पेड़ को पेल लिख दिया । यह बोलकर उसने वो कागज को दोनों हाथों से दबा कर एक गेंद बना कर डस्टबिन में फेंक दिया और फिर दुबारा एसी के रिमोट को उठा कर एक दुसरा शाही कागज निकाला और उसपे बडे प्यार से सजा कर लिख दिया "हमें पेड नहीं कटने देने" । मुनाफ़क़त की हद यह नहीं थी कि वो एसी वाले कमरे मे पलास्टिक की कुर्सी पर बैठकर ,लकडी की टेबल के ऊपर कागज़ रख कर, पलास्टिक के पैन से पर्यावरण बचाने की बात कर रहा था । मुनाफ़क़त की हद यह है कि कूडेदान जिनपे मनभावन दोहे लिखे होते है प्रदुषण से संबंधित, पर्यावरण बचाने के लिए वो ही सरकारी कूडेदान खुद पलास्टिक के बने होते है जो अगले 1000 साल तक प्रकृति पे बोझ बनके रहेंगे । मै एक अनुमानित गिनती भी नहीं करना चाहता उन सरकारी कूडेदानों की, क्योंकि कल्पना ही विचलित कर देती है ।। - RatNam #hypocrisy #humanhypocrisy #cameraman #hindi #justthoughts