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अपने अंदर हम उलझलनों का उफान लिए है, ना‌ जाने कितन

अपने अंदर हम उलझलनों का उफान लिए है,
ना‌ जाने कितनी जिम्मेदारों का तूफान लिए हुए है,
अपने लबों पर मंद मंद मुस्कान  लिए‌ हैं,
ज़माना गुजर गया खुल के मुस्कुराए हुए,
 हम तो हंसी की दुकान लिए बैठे हैं। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-110 में स्वागत करता है..🙏🙏

*आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
अपने अंदर हम उलझलनों का उफान लिए है,
ना‌ जाने कितनी जिम्मेदारों का तूफान लिए हुए है,
अपने लबों पर मंद मंद मुस्कान  लिए‌ हैं,
ज़माना गुजर गया खुल के मुस्कुराए हुए,
 हम तो हंसी की दुकान लिए बैठे हैं। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

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mrsrosysumbriade8729

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