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पढ़ कर तुम्हारे लफ्ज को लब मुस्करा रहे हैं कुछ भी

पढ़ कर तुम्हारे लफ्ज को
लब मुस्करा रहे हैं
कुछ भी समझ न आया
मगर गुनगुना रहें हैं

अहसास दिल केअपने
लिखें हैं किताबों में
बेखुद हमारे मन को
यूँ गुदगुदा रहें हैं

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #लफ्ज़