वो निगाहो से कत्ल करते रहे हमारा हमने एतराज़ न किया हुनर-ए-इश्क़ से हम्हे अपना बनाते रहे हमने एतराज़ न किया हमने उनको सौप दिया खुद को उनका बनाकर उसने एतराज़ न किया हमपर कोई और भी मर रहा था उसने यह एतराज़ क्यों किया कुँवर सुरेंद्र वो निगाहो से कत्ल करते रहे हमारा हमने एतराज़ न किया हुनर-ए-इश्क़ से हम्हे अपना बनाते रहे हमने एतराज़ न किया हमने उनको सौप दिया खुद को उनका बनाकर उसने एतराज़ न किया हमपर कोई और भी मर रहा था