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ख़ुश्बू सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो शीशा कहीं

ख़ुश्बू सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो 
शीशा कहीं टकराए तो लगता है कि तुम हो 

एहसास-ए-मोहब्बत से किसी गोशा-ए-दिल में 
जब चोट उभर आए तो लगता है कि तुम हो 

पुर-कैफ़ हवा में जो किसी पेड़ के नीचे 
आँचल मिरा लहराए तो लगता है कि तुम हो 

छूने से कभी बाद-ए-सबा के मिरे तन में 
इक बर्क़ सी लहराए तो लगता है कि तुम हो 


सर रख के जो पत्थर पे कभी राह-ए-अलम में 
कुछ नींद सी आ जाए तो लगता है कि तुम हो 

जब शाम-ए-मुलाक़ात पड़ोसी के मकाँ से 
आवाज़ कोई आए तो लगता है कि तुम हो 

जब शाना भी करने न उठे हाथ हमारा 
और ज़ुल्फ़ सँवर जाए तो लगता है कि तुम होl


Source 👉  Bu-E-Saman (page 39) #Secret
ख़ुश्बू सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो 
शीशा कहीं टकराए तो लगता है कि तुम हो 

एहसास-ए-मोहब्बत से किसी गोशा-ए-दिल में 
जब चोट उभर आए तो लगता है कि तुम हो 

पुर-कैफ़ हवा में जो किसी पेड़ के नीचे 
आँचल मिरा लहराए तो लगता है कि तुम हो 

छूने से कभी बाद-ए-सबा के मिरे तन में 
इक बर्क़ सी लहराए तो लगता है कि तुम हो 


सर रख के जो पत्थर पे कभी राह-ए-अलम में 
कुछ नींद सी आ जाए तो लगता है कि तुम हो 

जब शाम-ए-मुलाक़ात पड़ोसी के मकाँ से 
आवाज़ कोई आए तो लगता है कि तुम हो 

जब शाना भी करने न उठे हाथ हमारा 
और ज़ुल्फ़ सँवर जाए तो लगता है कि तुम होl


Source 👉  Bu-E-Saman (page 39) #Secret