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खुद से खुद का द्वंद छिड़ा है, मन, दुनिया के प्रतिब

खुद से खुद का द्वंद छिड़ा है,
मन, दुनिया के प्रतिबंध से घिरा है।

आकांक्षाएं जाने कितनी मार चुके हम,
ना चाहते भी, बहुत बार.. झुके हम।

अब और करने की ना इच्छा बची कोई,
इन रिश्तों की वजह से कभी हंसी मैं, कभी रोई।

खुद के अक्श को भूले चले थे,
जब तक सहे, तब तक भले थे।

अब अपने लिए कुछ करने का ठान चुके है,
असलियत अब दुनिया की जान चुके है।

रास्ता मालूम है, कठिन बड़ा है,
इसलिए,
खुद संग खुद का द्वंद छिड़ा है।।
 🌹नमस्ते लेखकों🙏🏼

🌸कोलैब करने से पहले 📌पिन पोस्ट अवश्य पढ़ लें।

🌸 आप सभी दिए गए विषय पर 6 - 8 पंक्तियों में अपनी रचना पूरी करें।

🌸पोस्ट को हाईलाइट करना ना भूलें।
खुद से खुद का द्वंद छिड़ा है,
मन, दुनिया के प्रतिबंध से घिरा है।

आकांक्षाएं जाने कितनी मार चुके हम,
ना चाहते भी, बहुत बार.. झुके हम।

अब और करने की ना इच्छा बची कोई,
इन रिश्तों की वजह से कभी हंसी मैं, कभी रोई।

खुद के अक्श को भूले चले थे,
जब तक सहे, तब तक भले थे।

अब अपने लिए कुछ करने का ठान चुके है,
असलियत अब दुनिया की जान चुके है।

रास्ता मालूम है, कठिन बड़ा है,
इसलिए,
खुद संग खुद का द्वंद छिड़ा है।।
 🌹नमस्ते लेखकों🙏🏼

🌸कोलैब करने से पहले 📌पिन पोस्ट अवश्य पढ़ लें।

🌸 आप सभी दिए गए विषय पर 6 - 8 पंक्तियों में अपनी रचना पूरी करें।

🌸पोस्ट को हाईलाइट करना ना भूलें।