बेटी हूँ तो क्या हुआ? समस्त ब्रह्मांड की रचयिता, सृष्टिकर्ता मैं ही तो हूँ। मां के शरीर का अंश मैं भी हूँ,मैं ही कुल के वंश को आगे बढ़ाने वाली हूँ। बेटी हूँ तो क्या हुआ? मैं ही तो हर घर आंगन में उजियारा भरती रहती हूँ। बेटी, मां, बहन और पत्नी का हर रूप मैं ही हूँ मैं सारे ही फर्ज निभाती हूँ। बेटी हूँ तो क्या हुआ? परिवार का स्वाभिमान, दो कुलों की मान मर्यादा हूँ। बेटों से कम नहीं मैं स्वयं में सर्व शक्तिशाली और अस्तित्व बनाने वाली हूँ। 🌝प्रतियोगिता-82 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹" बेटी हूँ तो क्या...??"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I