मासूम कलियां पंख पसारे, उसको देखने के लिए आंखे तरस रही है। अपनी बहनों की करुण पुकार सुनकर, जीवन बोझल लग रही है।। दरिंदों की दरिंदगी के आगे, हमारी बहन बेटियां आज निर्वस्त्र हो रही है। बची रहे उनकी आबरू, इसीलिए घरों की चहर दिवारी में कैद हो रही है।। हो जाएं फ़िर से सुन्दर सवेरा, अब तो जिन्दगी बद से बद्तर हो रही है। खुलेआम बेफिक्र घूमें हमारी बहनें, ये देखने को आंखें तरस रही है 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-90 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।