कोने-कोने से मुझको पयाम आ रहा है सबके लबों प' बस मेरा नाम आ रहा है लहजे को रखो अपने चाशनी से तर हर शख़्स मिठाई की दूकाँ प'सुबह-शाम आ रहा है हल्की आवाज़ से लरज़ उठता है मासूम वो बच्चा हो न हो ज़ेहन प' उसके भी डर का निशान आ रहा है मुल्क़ के लिये कुछ कर जाओ 'महशर' ऐसा लोग बोल उठें देखो हिन्दोस्ताँ की शान आ रहा है #patriot #inspirations