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घिरा है किस द्वंद में तू क्यों इतनी खामोशी है उत्स

घिरा है किस द्वंद में तू
क्यों इतनी खामोशी है
उत्साह के वो रंग
उल्लास से भरा वो जज्बा तेरा
क्यूं ऐसे चकनाचूर हुआ
क्यू हारा है,क्यूं उलझा है
क्यों खुद को किया इतना मजबूर तूने
देख भोर नई है,तेरी और उम्मीद नई है
थोड़े में डर जाए वो हालात मत रख
प्रहार से टकराकर चकनाचूर हो वो जज्बात मत रख
उठ खड़ा हो जा
एक नई भोर है
हिम्मत से ही होते दूर बादल ये घनघोर है
बारिश का वो दौर जूझे बनाना है
लड़ना ही यूं न हिम्मत हार जाना है

©Neha Bhargava (karishma)
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