सवेरा देखो हुआ सवेर! पनघट पर जाती पनिहारन, सुर निकले विणा के तारन, काली कोयल बोल रही है। मन कि डाली डोल रही है, चिड़िया चुगती दाने का ढेर....देखो हुआ सवेर।। पूरब से ठंढी पुरवाई, चहुँ ओर फसलें हरियाई,बच्चों को होती स्कूल की देर देखो हुआ सवेर। सूरज की किरणों की लाली नित्य नए कर्तव्य सिखाती । सुन लो pushkar ए भाई समय (काल)का पहिया लेता है बस एक ही फेर....देखो हुआ सवेरे-2 #सवेर#